शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

लिंगाष्टकम ( हिंदी अर्थ सहित )


लिंगाष्टकम
लिंगाष्टकम ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग ! जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!१!!

मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है)

देवमुनिप्रवरार्चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं !
रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!२!!

देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग, जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं शिव का स्वरूप है, जिसने रावण के अभिमान का भी नाश किया, उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।

सर्वसुगंन्धिसुलेपित लिंगं, बुद्धिविवर्धनकारण लिंगं !
सिद्धसुरासुरवन्दित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!३!!

सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग, जो कि बुद्धि का विकास करने वाल है तथा, सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सबों के लिए वन्दित है, उन सदाशिव लिंक को प्रणाम।

कनकमहामणिभूषित लिंगं, फणिपतिवेष्टितशोभित लिंगं ! दक्षसुयज्ञविनाशन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!४!!

स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित, एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाले है ; आपको प्रणाम।

कुंकुमचंदनलेपित लिंगं, पंङ्कजहारसुशोभित लिंगं ! संञ्चितपापविनाशिन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!५!!

कुंकुम एवं चन्दन से शोभायमान, कमल हार से शोभायमान सदाशिव लिंग जो कि सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है, उन सदाशिव लिंग को प्रणाम ।

देवगणार्चितसेवित लिंग, भवैर्भक्तिभिरेवच लिंगं !
दिनकरकोटिप्रभाकर लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!६!!

आप सदाशिव लिंग को प्रणाम जो कि सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों द्वारा पुजित है तथा जो करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं।

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं, सर्वसमुद्भवकारण लिंगं !
अष्टदरिद्रविनाशित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं !!७!!

आठों दलों में मान्य, एवं आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं
आप सदाशिव लिंग को प्रणाम।

सुरगुरूसुरवरपूजित लिंगं, सुरवनपुष्पसदार्चित लिंगं !
परात्परं परमात्मक लिंगं, ततप्रणमामि सदाशिव लिंगं !!८!!

 देवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों से पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है उन सदाशिव लिंग को प्रणाम। 


ॐ  नमः शिवाय 

1 टिप्पणी:

  1. मेरे इस भोले नाथ को हाथ जोड़ के सादर प्रणाम है
    है दयालु है कृपालु हम भक्तो पर अपनी दया कीजिये

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