मंगलवार, 4 अगस्त 2015

भगवान शिव सर्वव्यापक हैं


पंच तत्त्वों में व्यक्तः
भगवान शिव सर्वव्यापक हैं। दक्षिण भारत में भगवान शिव की सर्वव्यापकता को व्यक्त करने के लिए उन्हें जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश इन पाँचों तत्त्वों में व्यक्त किया गया है। इस दृष्टि से तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली में जल या नीर(जंबूकेश्वरार या जम्बूकेश्वर), तिरुअन्नामलै में अग्नि (अन्नामलियार या अरुणाचलेश्वर), कांचिपुरम में पृथ्वी (एकंबरेश्वर), चिदंबरम् में आकाश (नटराज), तथा आंध्र प्रदेश में तिरुपति से 36 किलोमीटर की दूरी पर श्री कालहस्ति में वायु (श्री कालहस्तीश्वर स्वामी) के शिव मंदिर प्रसिद्ध हैं।
तिरसठ (63) शिवभक्त नायनारोंया नायनमारोंके साहित्य में प्रसिद्ध शैव मंदिरों का वर्णन मिलता है जिनकी संख्या 264 है।
रामेश्वर के रामलिंगेश्वर के अतिरिक्त निम्न विश्व प्रसिद्ध शैव मंदिर हैं -
(1) एकंबरेश्वर एवं (2) कैलाश नाथरः कांचीपुरम् में
(3) अन्नामलियार या अरुणाचलेश्वरः तिरुअन्नामलै में
(4) जम्बूकेश्वरः तिरुचिरापल्ली में
(5) बृहदेश्वर या राजराजशेखर या पेरुवयुदियारः तंजावुर में
(6) अधि कुंबेश्वरः तंजावुर से 45 किलोमीटर दूर कुंबकोनम् में
(7) ऐरावतेश्वरः तंजावुर जिले में कुंबकोनम् के पास
(8) संगमेश्वरः इरोड जिले में भवानी में
(9) मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरः मदुरै में
(10) पापनासम् रेलवे स्टेशन के चतुर्दिक शिव-मंदिर-समूहः तिरुनलवेली के पास
(11) नटराज शिव मंदिरः चिदंबरम् में
इनके अतिरिक्त कोयंबतूर जिले के (12) ध्यानलिंग मंदिर की भी अपनी विशिष्ट पहचान है तथा
चेन्नई के (13)कपिलेश्वर एवं (14) मरुंदीश्वरार मंदिर भी उल्लेखनीय हैं।
(2) आंध्र प्रदेशः
श्री सैलम-मल्लिकार्जुन तो ज्योतिर्लिंग है ही; निम्न मंदिर भी उल्लेखनीय हैं :
(क) रायलसीमा क्षेत्रः
(1) श्री कालहस्तिः चित्तूर जिले में स्वर्णमुखी नदी के तट पर। (2) पल्लि कोण्डेश्वरः चित्तूर जिले में ही। (3) जगन्नाथ गट्टूः कर्नूल शहर के पास।(4) जगन्नाथ गट्टूः कर्नूल शहर के पास। (5) वीरभद्रः अनंतपुर के पास।
(ख) तेलंगाना क्षेत्रः
(6)कालेश्वरम् : करीमनगर जिले में करीमनगर शहर से 125 किलोमीटर दूर।(7) वेमुलनाडः इसकी पहचान दक्षिण की काशी के रूप में भी होती है। करीमनगर शहर से 35 किलोमीटर दूर (8) कीसरगुट्टाः रंगारेड्डी जिलें में हैदराबाद से लगभग 40 किलोमीटर दूर
(3) कर्नाटकः
(क) पुरानी मद्रास रेज़ीडेंसीः
(1) श्री मंजुनाथेश्वरः धर्मस्थल।(2) श्री कदरी मंजुनाथः मंगलौर में।(3) श्री महालिंगेश्वरः मंगलौर से 52 किलोमीटर दूर पुत्तूर में।
(ख) पुराना बम्बई सूबाः
(4) महाबलेश्वरः उत्तर कन्नड जिले के गोकर्ण शहर में।(5) मुरुदेश्वरः उत्तर कन्नड जिले की भटकल तहसील के कस्बे में अरब सागर के तट पर। लेखक ने कर्नाटक में जिन मूर्तियों के दर्शन किए हैं, उनमें सर्वाधिक ऊँची, भव्य एवं चित्ताकर्षक प्रतिमाएँ दो हैं : (क) श्रवणबेलगोल नगर में जैन धर्म के भगवान गोम्मटेश बाहुबली की प्रतिमा (ख) इस मंदिर के बाहर नव-निर्मित शिव प्रतिमा। (6) कुंडलसंगमः बासवेश्वर के वीरशैव या लिंगायत संप्रदाय का प्रधान केंद्र। बासवेश्वर-समाधि के अतिरिक्त स्वयंभू लिंग। बागलकोट जिले के अल्माटी बाँध से लगभग 15 किलोमीटर दूर। (7) अर्द्धनारीश्वर, (8) 18 भुजाओं वाले नटराज एवं (9) भूतनाथः ये तीनों बीजापुर जिले में बादामी नगर में। (10) मल्लिकार्जुन मंदिर समूहः बीजापुर जिले में बादामी के पास पट्टाडकल में।(11) महादेवः कोप्पल जिले के यालबुर्गा ताल्लुका के पास इतगी गाँव में।(12) सोमेश्वर मंदिर समूहः गडक जिले के शिरहट्टी ताल्लुका में लक्ष्मेश्वर में।(13) सिद्धेश्वरः हवेरी जिले के हवेरी नगर में।
(ग) पुराना मैसूर राज्यः
(14) श्री कांतेश्वरः मैसूर से 23 किलोमीटर दूर ननजनगुड में, जिसे दक्षिण की काशी की माना जाता है। । (15) भोगानंदीश्वर, (16) उमा-महेश्वर एवं (17) अरुणाचलेश्वरः ये तीनों बंगलुरु से 60 किलोमीटर दूर नंदी हिल्स पर।(18) विरूपाक्षः बेल्लारी जिले में तुंगभद्रा नदी के तट पर हंपी में।(19) कोटिलिंगेश्वरः कोलार जिले में। इसे विश्व का सबसे बड़ा लिंग माना जाता है।
(4) केरलः
(1)अलुवा का शिव मंदिरः एर्नाकुलम् जिले में कोची से लगभग 20-21 किलोमीटर दूर अलुवा में पेरियार नदी और सहायक नदी मंगलापुझा के बीच स्थित शिव लिंग। महाशिवरात्रि के अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। (2)थिरुवलूर महादेवः एर्नारुलम् जिले में। (3) कवियूर महादेव एवं (4) थिरिप्पारा शिवः दोनों पथनामथीटा जिले में (5) आनन्देश्वरम् : अलप्पुजा जिले में (6) वामटपल्लै महाशिवः कोट्टायम जिले में। (7) वडक्कुमनाथः त्रिचूर में स्थित।(8)शिव मंदिरः त्रिचूर जिले में पोनकुन्नम् में। (9) राजराजेश्वरः कन्नूर जिले में।
(5) मध्य प्रदेशः
महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर के अतिरिक्त निम्न मंदिर उल्लेखनीय हैः(1) कंदरिया महादेवः (खजुराहो)।(2) जटाशंकरः होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में।(3) शिव मंदिरः (खरगौन(पश्चिमी निमाड़) जिले के चोली में)।(4) केदारेश्वरः शिवपुरी जिले के पोहरी में।(5) गुप्तेश्वरः हरदा जिले के चारुवा गाँव में।(6) पशुपतिनाथः मंदसौर में।(7) भोजपुर का मंदिरः भोपाल से 28 किलोमीटर दूर।
(6) छत्तीसगढ़ः
(1) भोरमदेवः कबीरधाम जिले में कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर चौरागाँव में।(2) शिव-शक्तिः दुर्ग जिले के अमलेश्वर नगर में माँ पीताम्बरा बगलामुखी मंदिर में शिव-शक्ति एवं भैरव की प्रतिमाएँ हैं।(3) कपिलेश्वर शिव मंदिर समूहः दुर्ग जिले के बालोद में।(4)कुलेश्वरः रायपुर से दक्षिण दिशा में 45 किलोमीटर की दूरी पर राजिम नगर में।(4) कालेश्वरनाथः जांजगीर-चाम्पा जिले के जांजगीर मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर पीथमपुर में।
(7) उत्तराखंडः
केदारनाथ, जागेश्वर एवं मोटेश्वर ज्योतिर्लिंगों के अलावा निम्न मंदिर भी उल्लेखनीय हैं।
(क) कुमाऊँ क्षेत्र में :
(1) बालेश्वर महादेवः चंपावत जिले में।
(ख) गढ़वाल क्षेत्र में :
(2) गोपेश्वर या गोपीनाथः चमोली जिले में गोपेश्वर शहर में।(3) पुराना विश्वनाथ मंदिरः रुद्रप्रयाग जिले के गुप्त काशी में।(4)तुंगनाथः पंचकेदार के केदारनाथ के अतिरिक्त कल्पेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ एवं मध्यमहेश्वर हैं। तुंगनाथ का महत्व अधिक है। रुद्रप्रयाग जिले के चोपता से 4 किलोमीटर दूर।(5) कमलेश्वर महादेवः गढ़वाल की प्राचीन राजधानी श्रीनगर में। (6) दक्षेश्वर महादेव मंदिरः हरिद्वार से 4 किलोमीटर दूर कनखल में।(7) नीलकंठ महादेव मंदिरः ऋषिकेश से 32 किलोमीटर दूर।
(8) हिमाचल प्रदेशः
बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त निम्न मंदिर, पर्वत, सरोवर आदि की मान्यता भी हैः (1) मणि-महेश-कैलाशः चम्बा जिले के भरमौर के अन्तर्गत धौलाधार, पांगी एवं जास्कर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच कैलाश पर्वत एवं मणि-महेश सरोवर की मान्यता इस क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए तिब्बत के कैलाश एवं मानसरोवर के समान है। (2) शिव मंदिरः कांगड़ा जिले के काठगढ़ में। (3) किन्नौर कैलाश या किन्नर कैलाशः किन्नौर जिले में स्थित पर्वत जिसे शैव एवं बौद्ध पवित्र मानते हैं। (4) बिजली महादेवः कुल्लू से लगभग 8 किलोमीटर दूर खराल घाटी में। (5) त्रिलोकीनाथः कुल्लू जिले में कुल्लू से मनाली होते हुए रोहतांग से लगभग 8 किलोमीटर दूर। निकट ही चन्द्रा और भागा नदियों का संगम तथा व्यास नदी का उद्गम। (6) त्रिलोकीनाथ, (7) भूतनाथ एवं (8) अर्द्ध-नारीश्वरः ये तीनों मंदिर मंडी जिले में। (9) जटोलीः सोलन जिले में।
(9) उत्तर प्रदेशः
वाराणसी के ज्योतिर्लिंग विश्वनाथ के अतिरिक्त निम्न मंदिरों का उल्लेख किया जा सकता है – (1) नया काशी विश्वनाथः वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में। (2) जंगलीनाथः बहराइच में। (3) लोधेश्वर महादेवः बाराबंकी के रामनगर में। (4) गोकर्णनाथः लखीमपुर-खीरी जिले के गोला-गोकर्णनाथ में। यह तहसील-स्तर का शहर है जो सरैंया नदी के तट पर स्थित है। (5) बाबा भांडेश्वरनाथः चंदौली जिले के माटीगाँव में।(6) सकहा शंकरः हरदोई में।
(10) राजस्थानः
(1)एकलिंगजीः उदयपुर से 22 किलोमीटर दूर। (2) शिव मंदिरः बांसवाड़ा की गढ़ी तहसील के परतापुर में। (3) सोमनाथः पाली जिले के पाली शहर में।(4) निम्बो का नाथः पाली जिले में फालना के पास। (5) परशुराम महादेवः पाली जिले में सदरीनगर से 14 किलोमीटर दूर। (6) हर्षनाथः सीकर से लगभग 10 किलोमीटर दूर हर्षगिरि पहाड़ी की तलहटी के गाँव में।
(11) गुजरातः
सोमनाथ एवं नागेश्वर के अतिरिक्त निम्न मंदिर उल्लेखनीय हैः (1) पिंपलेश्वर महादेवः मेहसाणा जिले में सालदी के पास। (2) उत्कंठेश्वर महादेवः खेड़ा जिले में। (3) महादेवः भारुच जिले में। (4) कोटेश्वरः कच्छ जिले के लखपत के पास।
(12) महाराष्ट्रः
महाराष्ट्र एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ चार ज्योतिर्लिंगों की मान्यता है। (1) त्र्यम्बकेश्वर (2) घुश्मेश्वर (3) भीमशंकर (4) औंढ़ा नागनाथ। इनके अलावा औरंगाबाद से 50 किलोमीटर दूर वेरुल में विश्वप्रसिद्ध एलोरा की गुफा संख्या 16 विशेष रूप से उल्लेखनीय है। कैलाश मंदिर का पूरा परिसर दर्शनीय है जिसमें योगीश्वर, नटराज, त्रिमूर्ति एवं नन्दी की आकृतियाँ चित्ताकर्षक हैं। मुम्बई हार्बर से लगभग 10 किलोमीटर दूर विश्वप्रसिद्ध एलिफेंटा (घारापुरीची) के पश्चिमी भाग की मुख्य गुफा में शिव का वैभव दर्शनीय है।
(13) गोवाः
(1) शिव मंदिरः पणजी से 60 किलोमीटर दूर ताबड़ीसुर्ल गाँव में।
(14) ओडिशाः
तमिलनाडु के वर्णित रामेश्वरम् एवं क्रमांक 1 से लेकर क्रमांक 11 तक के मंदिरों के अलावा ओडिशा के भुबनेश्वर का लिंगराज मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध है। लिंगराज मंदिर के अलावा भुबनेश्वर के ही आस-पास सैंकड़ों शिव मंदिर मौजूद हैं। राजारानी मंदिर का स्थापत्य भी बेजोड़ है। मुक्तेश्वर,घंटेश्वर, परसुरामेश्वर,कपिलेश्वर, गंगेश्वर तथा गुप्तेश्वर मंदिर भी चर्चित हैं। भारत में भुबनेश्वर शहर एवं उसके चतुर्दिक अन्य किसी शहर की अपेक्षा शिव मंदिरों की संख्या सर्वाधिक है। भुबनेश्वर के अलावा कटक से लगभग 37 किलोमीटर दूर महानदी में स्थित द्वीप में धबलेश्वर(धनल अर्थात श्वेत) भी दर्शनीय है। ओडिशा के अन्य स्थानों के प्रसिद्ध शिव मंदिर निम्न हैः
(1)भद्रक जिले के भद्रक से 37 किलोमीटर दूर अखंडलमनि मंदिर
(2) ढ़ेंकानल जिले में कपिलाश पर्वत की चोटी पर स्थित चंद्रशेखर मंदिर। ढ़ेंकानल से लगभग 20 किलोमीटर दूर नागनाथेश्वर मंदिर। ढ़ेंकानल से 32 किलोमीटर दूर ब्राह्मनी नदी के तट पर करमुला में आठ शिव मंदिर हैं, जो अष्टशंभू के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनमें कनकेश्वर अपेक्षाकृत अधिक प्रसिद्ध है।
(3) संबलपुर जिले के संबलपुर से 23 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर हूमा मंदिर ।
(15) असमः
(1)उमानन्द मंदिरःगोवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य स्थित पीकॉक आइलैंड में। (2) शिव डोलः शिवसागर में। (3) गोपेश्वर पहाड़ः कामरूप जिले के देउदुआर में। मान्यता है कि यहाँ शिव पधारते थे।
(16) सिक्किमः
(1) किराटेश्वर महादेवः पश्चिम सिक्किम में रंगीत नदी के तट पर तेगशिप में।
(17) पश्चिम बंगालः
हुबली जिले के चन्दननगर प्रखंड के तारकेश्वर नगर का तारकनाथ मंदिर इस राज्य में शैव मत का सर्वाधिक लिंग को संसार का सबसे बड़ा शिवलिंग होने का दावा करते हैं। (3) पहाड़ी मंदिरः राँची में राँची-हिल की चोटी पर।
(19) जम्मू-कश्मीरः
अमरनाथ की गुफा के बर्फानी बाबा (स्वयंभू हिमानी शिवलिंग)। आषाढ़ पूर्णिमा से आरम्भ होकर रक्षाबंधन तक सम्पन्न होनेवाली अमरनाथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
भारतेतर देशों मेः
(1) तिब्बत क्षेत्रः
(1) मानसरोवर एवं (2) कैलाश पर्वत
(2) नेपालः
(1) पशुपतिनाथ मंदिरः काठमांडु में बागमती नदी के तट पर।(2) डोलेश्वर महादेवः भक्तपुर में।(3) कैलाशनाथ महादेवः काठमांडु के पास पर्वत पर। नेपाल में मान्यता है कि यह संसार की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
(3) पाकिस्तानः
(1) कटासराज मंदिरः पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में।
(4) बंगलादेशः
(1) कालभैरव मंदिरः बंगलादेश में।
(5) श्रीलंकाः
(1) कोनेश्वरम् एवं (2) कीथीस्वरम् मंदिर
(6) दक्षिण-अफ्रीकाः
जोहांसबर्ग में संसार की सबसे ऊँची शिव-शक्ति की प्रतिमा की स्थापना हुई है। समाचार-पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार इसकी ऊँचाई 20 मीटर है तथा इसे बनाने में 90 टन स्टील लगा है।



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