बुधवार, 12 अगस्त 2015

महिमा पारद शिवलिंग की

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महिमा पारद शिवलिंग की

अलौकिक सिद्ध पारदेश्वर मंदिर
सरगुजा जिले के राजधानी अम्बिकापुर से 40 कि. मी. दूर उत्तर दिशा में स्थित प्रतापपुर क्षेत्र के बांक नदी के पावन तट पर स्थित है !

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एक अलौकिक पारदेश्वर शिव मंदिर, जिसकी अलौकिकता और भव्यता साधकांे को मंत्रमुग्ध सा कर देता है।
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर के सभी मूर्ति तथा शिवलिंग अष्ट संस्कार सम्पन्न पारद से बने हुए है जिसमें भगवान शंकर माता पार्वती गणपती तथा कार्तिकेय जी के प्रतिमा के साथ स्वामी निखिलेश्वरानन्द महाराज जी की भव्य प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही साथ 11 कि.ग्रा. का चरण पादुका तथा दो पारद शिवलिंग है जिसमें 1 पारद शिवलिंग का वजन 21 कि.ग्रा. है तथा दूसरे का 151 कि.ग्रा. है, तथा पारद शिवलिंग के सामने ही 51 कि.ग्रा. पारे से बना नन्दी भी विराजमान हैं।
ऐसा दुर्लभ और अलौकिक पारदेश्वर मंदिर विश्व में शायद ही कहीं देखने को मिल सकता है। पुराणों में भी पारदेश्वर भगवान का बखान करते हुये कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में मात्र एक बार भी पारदेश्वर शिवलिंग का दर्शन कर ले उसके जन्म जन्मान्तर के करोड़ो पाप समाप्त हो जाते हैं तथा उसका जीवन धन्य हो जाता है तथा उसके घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती। प्रत्येक माह के 21 तारीख को 25 लीटर गौ दूध से भगवान पारदेश्वर का रूद्राभिषेक किया जाता है। यह लगातार कई वर्षांे से चला आ रहा है। इस मंदिर में समय समय पर साधकों को अनेकांे प्रकार के अलौकिक अनुभव होते रहते हैं।
इस मंदिर में स्थापित पारदेश्वर भगवान का पूजन करने से जीवन की समस्त समस्याएँ समाप्त हो जाती है, तथा सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है।
ग्रन्थों में पारदेश्वर शिवलिंग को दुनिया का सबसे दुर्लभ और अद्वितीय बताया गया है। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिलिंगो का सार तथा दुनिया में जितना भी शिव विग्रह स्थापित है। उन सभी स्वरूपों में सर्व श्रेष्ठ स्वरूप भगवान पारदेश्वर को ही माना गया है।
जिसके बारे में वेदो पुराणों तथा उपनिषदों में अनेकों प्रकार से गुण गान करते हुये कहा गया है कि कोई व्यक्ति चाहे कितना ही बड़ा अधर्मी या पापी हो या दुष्ट हो चाहे जीवन में कितने ही छल, कपट, अत्याचार, दुराचार, हत्या, गोहत्या या बह्महत्या जैसा भी पाप क्यों न किया हो वह व्यक्ति भी अगर मात्र एक बार पूर्ण श्रध्दा विश्वास के साथ भगवान पारदेश्वर का पूजन अथवा दर्शन मात्र कर ले तो उसके जीवन के सारे पाप दोष एक पल में ही पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं। तथा उस व्यक्ति में दिव्यता और पवित्रता का संचार होने लगता है।
हमारे वेदों और पुराणों में पारद से निर्मित मूर्तियों और शिवलिंग के दर्शन तथा पूजन के बारे में जो कुछ भी हमारे वेदों और पुराणों में पारद से निर्मित मूर्तियों और शिवलिंग के दर्शन तथा पूजन के बारे में जो कुछ भी वर्णित है वह नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ।

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शिव निर्णय रत्नाकर ग्रन्थ मे कहा है :- 
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मिट्टी अथवा पत्थर के शिवलिंग के पुजन करके करोड़ों गुणा अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग के पुजन से मिलता है स्वर्ण से करोंड़ो गुना अधिक फल मणि और मणि से करोड़ो गुणा अधिक फल बाल लिंग नर्मदेश्वर के पूजन से प्राप्त होता है तथा नर्मदेश्वर बाललिंग से भी करोड़ो गुणा अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन या दर्शन से ही प्राप्त हो जाता है।
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जो भक्ति और श्रध्दा के साथ पारदशिवलिंग की पूजा करता है उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग की पूजा का फल प्राप्त होता है तथा उसके समस्त महापाप नष्ट हो जाते है।
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हजारों करोड़ो शिवलिंगो की पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है उससे भी करोड़ो गुना अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है तथा हजारों ब्रह्म हत्याओं और गो हत्याओं का किया गया पाप भी पारद शिवलिंग के मात्र दर्शन करते ही समाप्त हो जाता है तथा पारदशिवलिंग के स्पर्श या पूजन करने से निश्चय ही समस्त प्रकार के भव बंधन से छुटकारा मिल जाता है।
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वायवीय संहिता ग्रन्थ में कहा है ~ आयु आरोग्य ऐश्वर्य तथा अन्य जो भी मनो वांछित वस्तुएं है। वे सभी वस्तुएँ पारद शिवलिंग के पूजन से सहज ही प्राप्त हो जाती है।
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ब्रह्म पुराण ग्रन्थ में कहा है ~ संसार में मनुष्य धन्य है जो समस्त मनोवांछित फलों को देने वाले पारद शिवलिंग का पूजन दर्शन करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण ग्रन्थ में कहा है ~ जो मनुष्य एक बार भी अपने जीवन में विधि विधान से पूजन कर लेता है उसे जीवन का पुर्ण सुख प्राप्त होता है तथा उसे जीवन में धन, यश, मान, सम्मान, पद प्रतिष्ठा, पुत्र-पौत्र, विद्या आदि की कोई कमी नहीं रहती। अन्त में निश्चित ही मुक्ति प्राप्त कर लेता है। 
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रस ही महालिंग है और इसे पुराणों ने भगवान शिव का शिवालय माना है। जिसके प्राप्त होने पर सम्पूर्ण सिद्धियाँ स्वतः प्राप्त हो जाती है।
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रस राज चिन्तामणि ग्रन्थ में कहा है ~ जो व्यक्ति अपने जीवन में पारद शिवलिंग की भूल से भी निंदा करता है उसे धोर पापी समझना चाहिए ऐसा व्यक्ति पारद के क्षेत्र में सफलता पा नहीं सकता और ऐसा व्यक्ति चाहे किसी भी प्रकार की साधना करले मृत्यु से उसको ब्रह्मा भी नहीं बचा सकता।
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रससार पद्धति नामक ग्रन्थ में दो टूक शब्दों में कहा गया है कि पारद शिवलिंग का दर्शन तथा पूजन, ब्रह्म हत्या के दोषों को भी नष्ट कर देता है। इसके दर्शन तथा स्पर्श से पूर्व जन्मकृत समस्त पापों का नाश हो जाता है, और यदि पारद शिवलिंग पर चढ़े हुए जल दूध या पंचामृत का सेवन कर लिया जाये तो व्यक्ति को सम्पूर्ण सुख और परमपद की प्राप्ति होती है। 
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2 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार हमारा नामे शिवम राठौर है मे भी पारद शिवलिंग बनाता हु यह मेरा सौभाग्य है की मुजे पारद शिवलिंग बनाने की विद्या प्राप्त हुई मुझसे संपर्क करने का साधन 7748923315 धन्यवाद

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