गुरुवार, 6 अगस्त 2015

जो अमृत पीते हैं उन्हें देव कहते हैं, और जो विष पीते हैं उन्हें देवों के देव "महादेव" कहते हैं !


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भोलेनाथ आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करे.....
ψ हर हर महादेव ψ 
smile इमोटिकॉन हर हर महादेव 
gasp इमोटिकॉन जय हो महाकाल
kiss इमोटिकॉन बम बम भोले
%-) ॐ नम शिवाय
[ψ]ॐ[ψ]
श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा को जब अहंकार आ गया। तो वह स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए बहस करने लगे। तब उन्हें एक जलती हुई अनंत ज्योति दिखाई दी। दोनों देव समझ नहीं पाए कि इस ज्योति का ओर-छोर कहां है तब भगवान शिव इस ज्योति के मध्य में प्रकट हुए।
पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है जबकि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं।
शिवजी के टखने से जन्में यह देव
शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव अपने टखने पर अमृत का लेप कर रहे थे तब उससे भगवान विष्णु का जन्म हुआ। जबकि विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।
'रुद्र' यानी रोने वाला
विष्णु पुराण में शिव के बाल रूप का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने इसके लिए तपस्या की। तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका नाम 'ब्रह्मा' नहीं है इसलिए वह रो रहा है।
तब ब्रह्मा ने शिव का नाम 'रुद्र' रखा जिसका अर्थ होता है 'रोने वाला'। शिव तब भी चुप नहीं हुए इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया, पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए। इस तरह शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए और शिव 8 नामों (रुद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए।
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
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जो अमृत पीते हैं
उन्हें देव कहते हैं,
और जो विष पीते हैं
उन्हें देवों के देव
"महादेव" कहते हैं !
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ॐ नमः शिवाय
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