बुधवार, 12 अगस्त 2015

भीमा नदी के तट पर भीमशंकर ज्योतिर्लिग स्थित है ! जो कि द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक है!

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सावन ( आशूतोष ) मास के ग्यारहवे दिन पर हम आपको ले चलते है महाराष्ट्र राज्य में मुंबई से करीब 265 किलोमीटर दूर, पूर्व की ओर भीमा नदी के तट पर भीमशंकर ज्योतिर्लिग स्थित है ! जो कि द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक है!
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इसके उद्भव की एक कथा इस प्रकार है-
सहमाद्रि पर्वत के शिखर पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग का पुराणों में बहुत अधिक महत्व है। आकर्षक हरियाली से घिरे इस तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए बसों का सहारा लेना पड़ता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार कुंभकरण का बेटा भीम ब्रहृमा के वर से इतना वलशाली हो गया कि उसने सभी देवताओं को हराकर इंद्र को भी परास्त कर दिया। इसके बाद उसने कामरूप के महाराजा सुर्दाक्षण को भी अपने कब्जे में कर लिया। सुर्दाक्षण शिवभक्त थे। उन्होंने कारागार में ही शिवलिंग बनाकर तपस्या शुरू कर दी। भीम ने क्रुद्ध होकर उस ज्योतिर्लिंग को तोडऩा चाहा जिससे रुष्ट होकर शिवजी प्रकट हुए और भीम का बध कर दिया तथा वहीं स्थापित हो गए। जिसके कारण इस ज्योतिर्लिंग को लोग भीमशंकर के नाम से जानते हैं।
दूसरी कथा इस प्रकार-:
सहृयाद्रि और इसके आस-पास के लोगों को त्रिपुरासुर नामक दैत्य अपनी असुरी शक्तियों से बहुत सताता था। इस दैत्य से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शंकर यहाँ भीमकाय स्वरूप में प्रकट हुए। त्रिपुरासुर को युद्ध में पराजित करने के बाद भक्तों के आग्रह पर भगवान शंकर वहाँ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए। कहते है कि युद्ध के बाद भगवान शंकर के तन से जो पसीना बहा उस पसीने से वहाँ पर भीमवती नदी का जन्म हुआ।
महाराष्ट्र में पेशवाओं के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फदनविस ने इस मंदिर में सभामंडप और शिखर बनवाकर इसे आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था. यानी स्थापत्य कला के मामले में ये मंदिर आधुनिक और पुरातन नागर शैली का मिश्रित रूप है. यहां बुद्धा स्टाइल से की गई अंबा-अंबिका की नक्काशी, मन्माड की 1034 फीट की ऊंचाई पर भीमशंकर, हेमदपंथी में नाना फदनविस के द्वारा ही बनवाई खास घंटी भी देखने लायक है.
इसके अलावा मंदिर के चारों ओर का नजारा भी बेहद सुंदर है. यहां आप बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक, गुप्त भीमशंकर, हनुमान टैंक और नागफनी प्वाइंट के दर्शन भी कर सकते हैं. गुप्त भीमशंकर भीमा नदी का उद्गम स्थल है. यहां का जंगल एक वन संरक्षित क्षेत्र है जहां आप कई तरह के सुंदर पक्षी, वन्य जीव एवं फूल, पौधे देख सकते हैं. इसके अलावा यहां शेकरु नाम का एक दुर्लभ जानवर भी देखा जाता है. यहां के सौंदर्य की बदौलत ही शिव में अटूट आस्था रखने वाले भक्त ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी इधर खिंचे चले आते हैं !

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