सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। :उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्
॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां
भीमशङ्करम्।:सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं
गौतमीतटे।:हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात:
पठेन्नर:।:सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥4॥
हिन्दू
धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों
को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है ।
हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और
संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिङ्गों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के
स्मरण मात्र से मिट जाता है ।
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