शनिवार, 8 अगस्त 2015

!!!! शिव स्तुति एवं छमा प्रार्थना !!!!

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम् !
उर्वारुकमिव बंधनन्मृत्योम्रुक्षीय मामृतात् !!
अर्थात:
हे ईश्वर, जिनके तीन नेत्र हैं उनकी प्यार, सम्मान और आदर से उपासना करते हैं जिसमे संसार की समस्त सुगंध हैं अर्थात जिसका स्वभाव मीठा हैं जो सम्पूर्ण हैं जिसके कारण स्वस्थ जीवन हैं जो रोग,लालसा एवम बुराई का नाश करता है जिस कारण जीवन समृध्द होता हैं | उस एक अनश्वर से प्रार्थना हैं कि वह हमारे सारे बन्धनों को काटकर हमें मोक्ष का द्वारा दिखाए |
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कर्पूरगौरं करुणावतारं संसार सारं भुजगेन्द्रहारम !
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवन भवानीसहितं नमामि !!
अर्थात:
यह जो कपूर की तरह निर्मल एवम श्वेत हैं और करुणा एवम दया का रूप हैं सारा संसार इनमे ही निहित हैं जिसने सर्प को हार की तरह धारण किया हैं जो संसार के प्रत्येक कोने में मौजूद हैं जिनके ह्रदय में माँ भवानी का वास हैं ऐसे भगवान् शिव और माँ पार्वती को मेरा नमों नमह |
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वन्दे देवम उमापतिमं सुरगुरुं वन्दे जगात्कारानाम,
वन्दे पन्नगभूषणं मृग्धरमं वन्दे पशुनां पतिम् |
वन्दे सूर्या शशांक वह्रींनयन वन्दे मुकुन्द प्रियम
वन्दे भक्तजनाच्क्ष्यम च वरदम् वन्दे शिवम् शंकरम् ||
अर्थात:
हे, आराध्य देव, उमा ( माँ भगवती के पति), समस्त संसार के गुरु, जिसके कारण जगत हैं, जिसके एक हाथ में हिरण हैं, जो पशुओं का भी स्वामी हैं , जिनके नेत्रों में सूर्य,चन्द्रमा,अग्नी और तारों का वास हैं,जिसे मुकुन्द प्रिय हैं जो भक्तो के जीवन दाता हैं जिसने समस्त ब्रह्माण का निर्माण किया ऐसे शिव शंकर को मेरा प्रणाम ||
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श्री गुरुभ्यो नम:, हरि:ॐ, शम्भवे नम:
ॐनमोभगवते वासुदेवाय, नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय
महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्ताकाय त्रिकालाग्निकालाय
कलाग्निरुद्राया नील्कंठाया मृत्युन्जायाया सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाया नम:
अर्थात:
हे गुरु देव, हे हरिहर भोले, शिव शंभू नमोनमन, तीनो रूपों के रूप श्री वासुदेव भगवान् शिव जिनके तीन नेत्रों में तीनो लोकों का वास हैं जिसमे जल, अग्नी, वायु का समावेश हैं जिसने कंठ में विष को धारण कर निल्कंठेशवर का नाम पाया, जिन्हें मृत्यु पर विजय प्राप्त हैं जो सम्पूर्ण संसार के कर्ता धर्ता हैं ऐसे महादेव को प्रणाम |

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