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सावन ( आशुतोष ) मास के बाईसवेँ दिन में धर्म यात्रा के इस कड़ी मे हम आपको ले
चलते है ~ नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश
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गढ़वाल, उत्तरांचलमें हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश के पंकजा और मधुमती नदियों के संगम स्थल पर स्थित नीलकंठ महादेव मन्दिर एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिवने इसी स्थान पर समुद्र मंथनसे निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वतीने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
{✨}~स्थिति :-
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रमकी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमिटर और नाव द्वारा गंगापार करने पर 25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है।
{✨}~ विशेषता
नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती है। अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। सामने की पहाड़ी पर शिव की पत्नी, पार्वती जी का मंदिर है।
वैसे तो शिव के मंदिरों में द्वादश ज्योतिर्लिग की चर्चा की जाती है, लेकिन शिव भक्तों के लिए नीलकंठ महादेव का महत्व कुछ अलग ही है। नीलकंठ महादेव वह स्थल है, जहां समुद्र मंथन का हलाहल पीने के बाद शिव वर्षों तक आराम करते रहे। बाद में देवताओं के आग्रह पर वे कैलाश पर्वत पर वापस गए। वास्तव में समुद्र मंथन का गरल पीने के बाद शिव का कंठ नीला हो गया था। कई सालों तक ऋषिकेश की एक चोटी पर आराम करने के बाद शिव अपने गले से विष को दूर कर पाए। विष से शिव का माथा गरम हो चुका था। देवताओं ने शीतलता प्रदान करने के लिए शिव के माथे पर जल अर्पित किया, तभी से उनको जल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।
नीलकंठ महादेव का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम (राम झूला या शिवानंद झूला) से 23 किलोमीटर दूर 1,675 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वैसे नीलकंठ जाने का रास्ता स्वर्गाश्रम से पैदल जाने का भी है। यह मार्ग 11 किलोमीटर का है, लेकिन सीधा चढ़ाई वाला है। जो लोग ट्रैकिंग के शौकीन हैं, वे इस मार्ग से भी जा सकते हैं। नीलकंठ में शिव का बड़ा ही मनोरम मंदिर बना है। मंदिर के बाहर नक्काशियों में समुद्र मंथन की कथा उकेरी गई है। खास तौर पर शिवरात्रि और सावन में यहां श्रद्घालुओं की काफी भीड़ होती है, लेकिन बाकी के साल यहां दर्शन अपेक्षाकृत आसानी से किए जा सकते हैं। यहां आप चांदी के बने शिवलिंग का काफी निकटता से दर्शन कर सकते हैं।
ऋषिकेश और हरिद्वार आने वाले बहुत कम श्रद्घालु नीलकंठ तक जाते हैं। जो लोग समय की कमी के कारण बद्रीनाथ और केदारनाथ नहीं जा पाते, उन्हें नीलकंठ महादेव जरूर जाना चाहिए।
सैकड़ों भक्त श्रावण के महीने (जुलाई-अगस्त) में इस मन्दिर में आते हैं। इस महीने को भगवान शिव की आराधना के लिये पवित्र माना गया है।
Gurgaon se neelkanth mahadev mandir kaise aaye today hindi me bstaye
जवाब देंहटाएंRaste ke baare me batye bus dwaara gurgaon se neelkanth mahadev mandir hindi bag rakhne ki jagah hai
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